New india cooperative bank offered preity Zinta 1 55 crore discount on 18 crore loan probe

इस समय करीब 122 करोड़ रुपये के घोटाले का शिकार है. पुलिस ने गुरुवार को जानकारी दी कि बैंक ने बॉलीवुड अभिनेत्री प्रीति जिंटा को उनके स्वीकृत 18 करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाने के लिए 1.55 करोड़ रुपये की छूट दी थी, जिसे बैंक ने गैर-निष्पादित आस्ति (एनपीए) (non performing asset) के रूप में वर्गीकृत किया था.

एक अधिकारी ने कहा कि यह कर्ज 2011 में स्वीकृत किया गया था और अभिनेत्री ने अप्रैल, 2014 में इसका भुगतान किया था. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले की जांच कर रही है. इसने अब तक मामले में 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इसमें बैंक के पूर्व महाप्रबंधक और खातों के प्रमुख हितेश मेहता भी शामिल हैं, जिन्हें 15 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था.

प्रीति जिंटा ने कब लिया लोन

एजेंसी ने 2010 के बाद से बैंक के कर्ज के आंकड़ों की जांच की है. उन्होंने कहा, जांच के दौरान पाया गया कि अभिनेत्री प्रीति जिंटा ने बैंक से कर्ज लिया था. उन्हें सात जनवरी, 2011 को 18 करोड़ रुपये का कर्ज स्वीकृत किया गया था. अधिकारी ने कहा, उन्होंने बैंक के पास अपनी संपत्तियां गिरवी रखी थीं, जिसमें मुंबई में एक फ्लैट और शिमला में एक संपत्ति शामिल थी, जिसकी कुल कीमत 27.41 करोड़ रुपये थी. नवंबर, 2012 में उन्हें बैंक को 11.40 करोड़ रुपये चुकाने थे.

उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2013 को समय पर कर्ज न चुकाने की वजह से उनके कर्ज खाते को ए श्रेणी में वर्गीकृत किया गया था. उस समय ए राशि 11.47 करोड़ रुपये थी. अधिकारी ने कहा, इसके बाद बैंक ने कर्ज के अंतिम निपटान पर 1.55 करोड़ रुपये की छूट देने की पेशकश की. बाकी की कर्ज राशि अभिनेत्री ने 5 अप्रैल, 2014 को चुकाई.

घोटाले की जांच जारी

इस बीच, ईओडब्ल्यू शुक्रवार को मामले के मुख्य आरोपी हितेश मेहता का मुंबई के कलीना स्थित फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) में ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराएगी, ताकि पैसों के लेन-देन और अन्य आरोपियों की संलिप्तता के बारे में अधिक जानकारी जुटाई जा सके. अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने पहले मेहता का पॉलिग्राफ टेस्ट कराया था.

RBI ने लिया था एक्शन

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में फरवरी के महीने में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक को आरबीआई ने बैन कर दिया है. दरअसल, बैंक के रक्षक ही भक्षक बन गए थे. इसी के चलते ही मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा न्यू इंडिया बैंक घोटाले की जांच कर रही है. आरबीआई ने बैंक पर बैन इसीलिए लगाया था क्योंकि 122 करोड़ रुपये के घोटाले और गबन सामने आए थे. इसी के चलते आरबीआई ने 6 महीने का प्रतिबंध लगा दिया है.

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